Saturday, November 28, 1998

तुम आना

पूर्ण चन्द्र हो शांत कुञ्ज हो
शिथिल रात में जग सुप्त हो
नीरव वन में तब तुम आना प्रिये
मधुर साज में एक राज हो
नंदन वन में भ्रमर अकेला जब मैं होऊं
पुष्प रूप में सजकर जग को तजकर
कोमल गात में तुम आना प्रिये