तुम सुनो या अनसुना कर दो..
दिल की बात वो सुनाता ही जायेगा ..
अफसाने हैं उसके अन्दर
तेरे मन की उसके मन की सबके मन की
वो सबको पढता जायेगा..
सबके दिल की बात वो सुनाता जायेगा
तुम सुनो या अनसुना कर दो
दिल की बात वो सुनाता ही जायेगा
तुम रोते हो फिर हंसते हो
पल पल में खुद को जीत हो
अपने अन्दर को कब पढ़ पाते हो
राहें जैसी दिख जाती हैं
चल देते हो
मुड़ जाते हो
थक जाते हो सो लेते हो ...
दिन को अपना कभी कह पाते हो
रात के अँधेरे में सब भूल जाते हो
क्षणभंगुर जीवन के तार तुम कब जोड़ पाते हो
वो कवि है ..
तेरी वेदना का हर तार उसे मालुम है तेरी ख़ुशी से जुड़ा है कहीं न कहीं
वो तुम्हारी जिंदगी पढता है
वो लिखता है जीवन की कहानी
जी जी कर औरों के जीवन में
वो तुम्हारी कहानी कहता ही जायेगा
तुम सुनो या अनसुना कर दो
दिल की बात वो सुनाता ही जायेगा
सुजीत कुमार (२८ अक्टूबर २००९)