तुम केहते हो मेरे आँखों में आंसूं आ जाते हैं आजकल
हर वक़्त
हर लफ्ज़ पे
तुम्हे नहीं पता मैं आंसुओं में डूबा रहा हूँ अब तक कई सालों से
उनके सूखे परत पे बैठा आसरा देख रहा हूँ अब तो। के सुबह होगॆ।
तुम कहते हो
अकेले हैं हमने तो उम्र गुज़ार दी है अकेले रहते रहते
हर वक़्त
हर लफ्ज़ पे
तुम्हे नहीं पता मैं आंसुओं में डूबा रहा हूँ अब तक कई सालों से
उनके सूखे परत पे बैठा आसरा देख रहा हूँ अब तो। के सुबह होगॆ।
तुम कहते हो
अकेले हैं हमने तो उम्र गुज़ार दी है अकेले रहते रहते
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